भूमिहार बनाम क्षत्रिय की लड़ाई में कैसे उलझ गई है गाजीपुर और बलिया सीट

लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में यूपी के पूर्वांचल में दिलचस्प लड़ाई देखने को मिल रही है. यहां भूमिहार बनाम ठाकुर का मुकाबला है. बलिया सीट पर नीरज शेखर बनाम सनातन पांडे के बीच चुनाव होता नजर आ रहा है. गाजीपुर सीट पर बीजेपी से भूमिहार समुदाय से आने वाले पारसनाथ राय मैदान में हैं. घोसी सीट से सपा से राजीव राय चुनाव लड़ रहे हैं.

भूमिहार बनाम क्षत्रिय की लड़ाई में कैसे उलझ गई है गाजीपुर और बलिया सीट
अफजाल अंसारी, नीरज शेखर, सनातन पांडेय, पारसनाथ राय (Credit – TV9 News )

 

लोकसभा चुनाव अब अपने आखिरी पड़ाव पर है और उत्तर प्रदेश में यह लड़ाई पूर्वांचल के रण में लड़ी जा रही है. पूर्वांचल की सियासत भले ही ओबीसी के इर्द-गिर्द सिमट रही हो, लेकिन सवर्ण जातियों का भी अपना वर्चस्व है. सियासी दबदबे के लिए पूर्वांचल में पीढ़ियों से दो सवर्ण जातियां- ठाकुर और भूमिहार के बीच मतभेद चले आ रहे हैं. गाजीपुर और बलिया लोकसभा सीट पर सवर्ण वोटों की एकजुटता पर बीजेपी की उम्मीदें टिकी हुई हैं, लेकिन जिस तरह से ठाकुर बनाम भूमिहार की अदावत दिख रही है, उसके चलते पार्टी के लिए चिंता का सबब बन सकती है?

बलिया सीट पर बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त का टिकट काटकर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर को उतार रखा है. इस सीट पर सपा ने पिछला चुनाव बहुत कम वोटों से हारने वाले सनातन पांडे को फिर से मैदान में उतारा है, तो बसपा से लल्लन सिंह यादव हैं. वहीं, गाजीपुर सीट पर बीजेपी से पारसनाथ राय, सपा से अफजाल अंसारी और बसपा से उमेश सिंह चुनावी मैदान में हैं. अफजाल अंसारी 2019 में बसपा से जीत दर्ज किए थे, लेकिन इस बार सपा से हैं. अफजाल अंसारी बाहुबली मुख्तार अंसारी के बड़े भाई हैं.

बलिया सीट पर नीरज शेखर बनाम सनातन पांडे के बीच चुनाव होता नजर आ रहा है. नीरज शेखर ठाकुर समुदाय से आते हैं और सनातन पांडेय ब्राह्मण हैं, जिनकी भूमिहारों के बीच ठीक-ठाक पकड़ है. इसी तरह गाजीपुर सीट पर पारसनाथ राय और अफजाल अंसारी के बीच मुकाबला है. पारसनाथ भूमिहार समुदाय से आते हैं और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के करीबी माने जाते हैं. गाजीपुर, बलिया और घोसी सीटें अंसारी परिवार के प्रभाव क्षेत्र वाली मानी जाती हैं.

घोसी सीट से सपा से राजीव राय चुनाव लड़ रहे हैं, जो बलिया के रहने वाले हैं और भूमिहार समुदाय से आते हैं. ऐसे में घोसी का सियासी असर बलिया में पड़ रहा है, तो गाजीपुर में ठाकुर वोटरों का एक बड़ा तबका अफजाल अंसारी के साथ खड़ा दिख रहा है. इस तरह बलिया, घोसी और गाजीपुर सीट पर दो विरोधी उच्च जातियों (ठाकुर और भूमिहार) के बीच एक मजबूत गठबंधन बनाने की कोशिश कर रही है, जहां अंतिम चरण में 1 जून को मतदान होना है.

बलिया सीट पर ठाकुर बनाम भूमिहार

बलिया लोकसभा सीट पर अभी तक कुल 18 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें 14 बार ठाकुर समुदाय से उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है. पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर आठ बार और उनके बेटे नीरज शेखर दो बार बलिया से सांसद चुने गए हैं. मोदी लहर में बीजेपी 2014 और 2019 में जीतने में सफल रही और इस बार नीरज शेखर पर दांव लगाया है. नीरज 2008 और 2009 के चुनाव जीतकर सांसद चुने जा चुके हैं. ब्राह्मण समाज के सनातन पांडे सपा से चुनाव लड़ रहे हैं, तो यादव समुदाय पर बसपा ने दांव लगाया है. नीरज शेखर के लिए यहां पर सबसे बड़ी दिक्कत सवर्ण वोटों को एकजुट करने की है क्योंकि ब्राह्मण से लेकर भूमिहार वोट तक उनके खिलाफ खड़े नजर आ रहे हैं.

बलिया लोकसभा सीट पर करीब तीन लाख ब्राह्मण समुदाय के वोटर हैं, जबकि ठाकुर ढाई लाख हैं. यादव और दलित ढाई-ढाई लाख, तो दलित पौने तीन लाख, मुस्लिम एक लाख वोटर हैं. भूमिहार सवा लाख, तो राजभर डेढ़ लाख के करीब हैं और दो लाख से ज्यादा वोटर अन्य ओबीसी के हैं. बलिया क्षेत्र में 5 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें गाजीपुर की मोहम्मदाबाद और जहूराबाद सीट, तो बलिया जिले की बैरिया, बलिया सदर और फेफना सीट है. 2022 में इन पांच में से 2 सीट बीजेपी जीती है, तो दो सपा और एक सीट से ओम प्रकाश राजभर विधायक हैं.

बीजेपी के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस बार बलिया लोकसभा सीट से भूमिहार समुदाय से आने वाले विधायक उपेंद्र तिवारी और पूर्व विधायक आनंद स्वरूप शुक्ला टिकट मांग रहे थे. दोनों भूमिहार नेताओं और मौजूदा सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त के खींचतान के चलते बीजेपी ने नीरज शेखर को प्रत्याशी बनाया है. इसके चलते भूमिहार समुदाय का बड़ा तबका नीरज शेखर के साथ खड़ा नहीं है. ब्राह्मण और भूमिहार दोनों ही सपा के पक्ष में खुलकर खड़े होने के बजाय सिर्फ ‘सनातन’ की जय हो का नारा लगा रहा है. इसे एक तरफ सनातन धर्म के नजरिए से देखा जा रहा, तो दूसरा सपा के प्रत्याशी सनातन पांडे से जोड़ा जा रहा है.

बलिया के एक स्थानीय पत्रकार समीर तिवारी ने बताया कि बलिया सीट पर सवर्णों का वोट सपा और बीजेपी के बीच बंटा हुआ नजर आ रहा है. बीजेपी प्रत्याशी नीरज शेखर के लिए यही सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है, क्योंकि ब्राह्मणों का बड़ा तबका पहले से ही सनातन पांडेय के साथ है और भूमिहारों का भी अच्छा खासा वोट सपा के साथ जा रहा है.

गाजीपुर जिले की दो विधानसभा सीटों पर भूमिहार हैं, वो कृष्णानंद राय फैक्टर के चलते बीजेपी के साथ हैं, लेकिन बलिया के भूमिहारों में बिखराव दिख रहा. इसके पीछे सियासी अदावत और राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई है. इसके अलावा बलिया के रहने वाले भूमिहार समुदाय के राजीव राय घोसी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जहां पर मुस्लिम एकजुट होकर उन्हें जीतने में लगे हैं. इसका प्रभाव बलिया सीट के भूमिहारों पर भी पड़ रहा है.

2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने बलिया सदर सीट से भूमिहार समाज से आने वाले आनंद स्वरूप शुक्ला का टिकट काटकर ठाकुर जाति के नेता दयाशंकर सिंह को टिकट दिया था. आनंद स्वरूप को बैरिया से टिकट दिया था, जहां पर बीजेपी के विधायक रहे सुरेंद्र सिंह वीआईपी पार्टी से उतरे, जिसके चलते आनंद स्वरूप चुनाव हार गए थे. बैरिया में ठाकुर बीजेपी को वोट करने के बजाय सुरेंद्र सिंह के पक्ष में खड़े नजर आए थे. ऐसे ही बलिया सदर सीट पर भी भूमिहार और ठाकुर एक दूसरे के खिलाफ नजर आए थे. सपा से नारद राय चुनाव लड़े थे और बीजेपी से दयाशंकर सिंह. नारद की चुनावी लड़ाई शुरू से ही ठाकुरों के खिलाफ रही है.

समीर तिवारी कहते हैं तो उपेंद्र तिवारी और आनंद स्वरूप जैसे भूमिहार चेहरों को बलिया सीट से टिकट न मिलने का भी सियासी मलाल भूमिहार लोगों में दिख रहा है. नीरज शेखर के साथ उपेंद्र तिवारी और आनंद स्वरूप शुक्ला बहुत ज्यादा मशक्कत करते नजर नहीं आए हैं क्योंकि उन्हें लग रहा है कि इस बार अगर ठाकुर कैंडिडेट हार गया तो भविष्य में उन्हें मौका लग सकता है.

सपा प्रत्याशी सनातन पांडे खुद को भूमिहारों का सबसे बड़े हितैषी बताने में जुटे हैं, जिनके साथ यादव-मुस्लिम-ब्राह्मण एक साथ है. ऐसे में भूमिहारों को भी उनके साथ जाने पर नीरज की हार में अपनी जीत देख रहे हैं. बीजेपी ने इसीलिए सपा के दिग्गज भूमिहार नेता नारद राय को अपने साथ मिलाकर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की है, लेकिन बैरिया और फेफना क्षेत्र के भूमिहारों का झुकाव सपा की तरफ है, जो बीजेपी के टेंशन का सबब बनी हुई है. ऐसे में बलिया सीट पर भूमिहार-ठाकुर समीकरण को साधे बिना नीरज शेखर के लिए जीत आसान नहीं है क्योंकि इस बार दलित और अति पिछड़ा वोट भी बीजेपी के साथ पहले की तरह नहीं दिख रहा है.

गाजीपुर सीट पर ठाकुर बनाम भूमिहार

गाजीपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी से भूमिहार समुदाय से आने वाले पारसनाथ राय मैदान में हैं, तो सपा से अफजाल अंसारी और बसपा से ठाकुर समाज से आने वाले उमेश सिंह मैदान में है. गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र में 1952 से अब तक हुए 17 चुनाव में नौ बार ठाकुर/भूमिहार जीतने में सफल रहे. 1996 से लेकर 2019 तक मनोज सिन्हा बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ते रहे हैं, जो भूमिहार समुदाय से आते हैं.

तीन बार के सांसद रहे मनोज सिन्हा 2019 में अफजाल अंसारी के हाथों 1.19 लाख वोटों से चुनाव हार गए थे. मनोज सिन्हा फिलहाल जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल हैं. बीजेपी ने गाजीपुर में मनोज सिन्हा के करीबी पारसनाथ राय को उतार रखा है, जिसके चलते यहां पर भी भूमिहार और ठाकुर के बीच दरार दिख रही है.

गाजीपुर लोकसभा सीट पर भूमिहार और ठाकुरों के बीच पुरानी अदावत चली आ रही है. 1998 में मनोज सिन्हा को सपा के ओम प्रकाश सिंह ने हराया था, जो ठाकुर समाज से आते हैं. 1999 में मनोज सिन्हा ने उनसे हिसाब बराबर कर लिया था, तो 2009 में सपा को राधे मोहन सिंह ने उन्हें करारी मात दी थी. राधे मोहन सिंह ठाकुर समुदाय के कद्दावर नेता माने जाते हैं.

मुख्तार अंसारी के गाजीपुर में ठाकुर नेताओं के साथ रिश्ते बहुत अच्छे रहे हैं. बीजेपी से भूमिहार समुदाय के उतरने से ठाकुरों का एक तबका अफजाल अंसारी के साथ खड़ा दिख रहा है. सपा के विधायक और गाजीपुर के पूर्व सांसद ओम प्रकाश सिंह खुलकर अफजाल अंसारी के लिए प्रचार कर रहे हैं.

गाजीपुर के स्थानीय पत्रकार जाहिद इमाम बताते हैं कि गाजीपुर में ठाकुरों को यह उम्मीद थी कि बीजेपी इस बार उनके समुदाय से किसी को उम्मीदवार बनाएगी. बाहुबली बृजेश सिंह से लेकर कई ठाकुर नेता टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने भूमिहार समाज के पारसनाथ राय को प्रत्याशी बना दिया. ऐसे में ठाकुरों को लग रहा है कि गाजीपुर में अगर पारसनाथ राय जीत गए तो फिर उनके लिए बीजेपी से चुनाव लड़ने का रास्ता बंद हो जाएगा, क्योंकि आगे मनोज सिन्हा और कृष्णानंद राय के बेटे टिकट के दावेदार हो जाएंगे.

इसके अलावा मुख्तार अंसारी के दबदबे के चलते तमाम ठेके पट्टे ठाकुर समुदाय के लोगों को मिलते रहे हैं. 2022 में ओम प्रकाश सिंह के विधायक चुने जाने में अंसारी परिवार की भूमिका अहम रही थी. इसके चलते ठाकुर वोट अफजाल अंसारी के साथ जाता दिख रहा है.

गाजीपुर लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण देखें तो भूमिहार, ब्राह्मण, यादव, राजभर, ठाकुर, दलित और मुसलमान वोटर अहम हैं. गाजीपुर में सबसे ज्यादा चार लाख दलित वोटर हैं, तो साढ़े तीन लाख यादव वोटर हैं. मुस्लिम वोटर ढाई लाख हैं, तो भूमिहार भी करीब 2 लाख हैं. इसके अलावा 4 लाख के करीब गैर-यादव ओबीसी हैं, जिसमें राजभर वोटर बड़ी संख्या में हैं.

जातीय समीकरण के सहारे 2004 में अफजाल अंसारी सपा से और 2019 में बसपा के टिकट पर गाजीपुर से चुनाव जीते थे और एक बार फिर प्रबल दावेदार हैं. गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से पारसनाथ राय खुद को लड़ाई में बनाए रखने के लिए लगभग 2.5 लाख ठाकुर जाति के मतदाताओं के समर्थन की आवश्यकता है.

पूर्वांचल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और राजनीतिक विश्लेषक दिग्विजय सिंह राठौर कहते हैं कि 2004 और 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने वाले सपा उम्मीदवार अफजाल अंसारी को गाजीपुर की लड़ाई में स्पष्ट बढ़त मिलती दिख रही है, क्योंकि उन्हें लगभग 55 फीसदी मतदाताओं का समर्थन प्राप्त है, जिसमें यादव-मुस्लिम और दलितों का एक बड़ा तबका साथ है. हालांकि, बीजेपी इस बार गाजीपुर में हर हाल में कमल खिलाने की कोशिश में लगी है, लेकिन ठाकुरों की नाराजगी पारसनाथ राय के लिए टेंशन बनी हुई है.

दिग्विजय सिंह कहते हैं कि गाजीपुर में ठाकुर मतदाता भूमिहारों से ज्यादा है, जिसके बावजूद बीजेपी ने भूमिहार पारसनाथ राय को उतारा है. गाजीपुर में ठाकुर मतदाताओं का एक हिस्सा जो सपा के जमानिया विधायक ओम प्रकाश सिंह से जुड़ा हुआ है, वह बीजेपी उम्मीदवार के बजाय इंडिया ब्लॉक को वोट देना पसंद कर सकता है. बसपा ने ठाकुर कैंडिडेट के तौर पर बीएचयू के पूर्व छात्र संघ महासचिव उमेश सिंह को उतारकर बीजेपी का समीकरण बिगाड़ दिया है. उमेश सिंह जिस तरह से ठाकुर समुदाय का समर्थन मांग रहे हैं, उसके चलते ठाकुरों का झुकाव अगर होता है तो बीजेपी के लिए टेंशन बन सकती है.

भूमिहार-ठाकुरों में सियासी बैलेंस बनेगा?

पूर्वांचल में बीजेपी ने पिछली बार विपक्ष का सफाया कर दिया था, लेकिन इस बार जातीय बिसात पर जिस तरह चुनाव हो रहै हैं, उसके चलते बीजेपी के लिए सियासी चुनौती है. ऐसे में बीजेपी पूर्वांचल की अलग-अलग सीटों पर सियासी समीकरण को साधने की मशक्कत कर रही है, जिसमें बलिया और गाजीपुर लोकसभा सीट पर भूमिहार और ठाकुरों के बीच सियासी बैलेंस बनाने की कवायद की जा रही है.

गाजीपुर और बलिया दोनों सीटों पर दो प्रमुख उच्च जातियों के बीच एक प्रकार का लेन-देन वोट देने का फार्मूला तलाशा जा रहा है, जहां दोनों जातियों के मजबूत और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं. इसके तहत गाजीपुर के ठाकुर समाज बीजेपी प्रत्याशी पारसनाथ राय के पक्ष में एकमुश्त वोटिंग करें तो बलिया सीट पर भूमिहार समाज नीरज शेखर के पक्ष में मतदान करें. बीजेपी अगर ठाकुर और भूमिहारों में सियासी समीकरण साधने में सफल नहीं होगी तो दोनों सीटों पर सियासी पेंच फंस सकता है?

                                                 JOIN WHATSAPP CHANNEL

https://whatsapp.com/channel/0029Va96kUhL2ATyzVn23Z2x

                                                     THANK YOU


Discover more from The Indias News

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Comment

close
Thanks !

Thanks for sharing this, you are awesome !

Discover more from The Indias News

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Exit mobile version