दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में आग बरस रही है। बाहर चलने वाली लू लोगों को बीमार तो कई की जान ले रही है। इस बीच यह बात पता चली है कि इससे अब ब्रेन स्ट्रोक का भी खतरा रहता है। डॉक्टरों ने इसके लिए साफ चेतावनी दी है।
नई दिल्ली: दिल्ली सहित पूरा उत्तर भारत इस समय भीषण गर्मी की चपेट में है। दिन में लू के थपेड़ों ने लोगों की हालत खराब कर दी है। कई जगह तो अधिकतम तापमान 50 के आसपास पहुंच रहा है। इस बीच एक और खबर जो आई है वो चिंता में डाल सकती है। बहुत ज्यादा गर्मी ब्रेन स्ट्रोक का कारण भी बन सकती है। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि बहुत ज्यादा गर्मी लगने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है, जिससे खून गाढ़ा हो सकता है और पूरे शरीर में खून का संचार धीमा हो सकता है। इससे कुछ गंभीर स्थितियों में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है। पिछले हफ्ते पीएसआरआई अस्पताल में ऐसे ही तीन मरीज आए थे जिनकी हालत खतरनाक थी। इन तीनों मरीजों (दो आदमी जिनकी उम्र 90 और 58 साल थी और एक 78 साल की महिला) में स्ट्रोक के लक्षण दिखाई दिए थे जैसे कि बोलने में लड़खड़ाहट और हाथ में कमजोरी। इसके साथ इनमें डिहाइड्रेशन के लक्षण भी थे जैसे मुंह सूखना और पेशाब कम होना भी था।
हीट स्ट्रोक से नर्वस सिस्टम पर पड़ता है बुरा असर
सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर भास्कर शुक्ला ने बताया कि जब हमने मरीजों के किडनी फंक्शन की जांच की तो पता चला कि यह डिहाइड्रेशन की वजह से हुआ था। उन्होंने बताया कि दो मरीजों को तो अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है, लेकिन महिला का इलाज अभी चल रहा है और उन्हें डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है। तेज गर्मी में, जब तापमान 42 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो जाता है, तो हीट स्ट्रोक का खतरा रहता है। हीट स्ट्रोक एक गंभीर समस्या है, जिसमें शरीर का तापमान बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, अक्सर 40 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा। डॉक्टरों का कहना है कि हीट स्ट्रोक से दिमाग और नर्वस सिस्टम पर भी बुरा असर पड़ सकता है। जब शरीर अपने आप को ठंडा रखने में नाकाम हो जाता है, तब शरीर में पानी की बहुत कमी हो जाती है, और ये एक खतरे की घंटी है।
डॉक्टर शुक्ला ने बताया कि शोध में पाया गया है कि स्ट्रोक के मरीजों, खासकर जिनकी शरीर की बड़ी धमनियों में रुकावट हो, उनके इलाज के नतीजे और मृत्यु दर का सीधा संबंध शरीर में पानी की कमी से होता है। साथ ही, अस्पताल में भर्ती होने के समय शरीर में पानी की कमी होना स्ट्रोक की गंभीरता और मृत्यु दर को बढ़ा सकता है। स्ट्रोक के बाद सही मात्रा में तरल पदार्थ लेना बहुत जरूरी है, खासकर निगलने में परेशानी वाले मरीजों के लिए। अगर शरीर में पानी की कमी का सही से इलाज न किया जाए तो मरीज की स्थिति गंभीर हो सकती है और ठीक होने में भी दिक्कत आ सकती है।
ब्रेन स्ट्रोक का भी खतरा
एम्स की न्यूरोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉक्टर मंजरी त्रिपाठी ने आगाह किया है कि बहुत ज्यादा गर्मी लगने से हीट स्ट्रोक हो सकता है, और कुछ गंभीर मामलों में ये ब्रेन स्ट्रोक का कारण भी बन सकता है। उन्होंने बताया कि गर्मी से होने वाले हीट स्ट्रोक की वजह से दो तरह के ब्रेन स्ट्रोक हो सकते हैं। शरीर में पानी की कमी और खून में पानी का लेवल कम हो जाने से खून दिमाग तक पहुंचाने वाली नसों में रिसाव हो सकता है। इससे खून गाढ़ा हो जाता है और नसों में जम सकता है। ऐसी स्थिति में खून की कमी वाला स्ट्रोक या खून बहने वाला स्ट्रोक (hemorrhagic stroke) हो सकता है।खून बहने वाला स्ट्रोक भी दो तरह का हो सकता है, एक जिसमें खून बहता है और दूसरा जिसमें खून नहीं बहता।
डॉक्टर त्रिपाठी ने आगे बताया कि जिन लोगों को पहले से ही हाई ब्लड प्रेशर, शुगर, धूम्रपान की आदत, शराब का सेवन, मोटापा, सांस लेने में परेशानी या हृदय रोग जैसी समस्याएं हैं, उनमें हीट स्ट्रोक से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा ज्यादा होता है। इसलिए उन्होंने सलाह दी है कि खासकर ऐसी बीमारियों से ग्रस्त लोगों को बहुत ज्यादा गर्मी से बचने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए। डॉक्टर अशिश श्रीवास्तव, धर्मशिला नारायण अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रमुख ने कहा कि हीट स्ट्रोक के बारे में जागरूकता और बचाव के उपाय बहुत जरूरी हैं, खासकर बुजुर्गों, बच्चों और पहले से बीमार लोगों के लिए, इन सावधानियों से ब्रेन स्ट्रोक जैसी गंभीर परेशानियों का खतरा कम किया जा सकता है।
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