टूर्नामेंट में 24 टीमें खेलेंगी। 15 जुलाई को फाइनल खेला जाएगा। स्टार स्ट्राइकर क्रिस्टियानो रोनाल्डो की टीम पुर्तगाल पर सभी की नजरें होंगी। वहीं, इटली की टीम खिताब बचाने उतरेगी। यूरो कप 2020 में इटली ने इंग्लैंड को हराकर ट्रॉफी पर कब्जा किया था।
UEFA यूरो कप 2024 का 15 जून से आगाज होने जा रहा है। इसे UEFA यूरोपियन फुटबॉल चैंपियनशिप और UEFA यूरोपियन चैंपियनशिप के नाम से भी जाना जाता है। इस टूर्नामेंट का आगाज 1960 में हुआ था और यह हर चार साल पर खेला जाता है। हालांकि, 2020 में इसे कोरोना के चलते एक साल पोस्टपोन करना पड़ा। यूरो कप 2020 दरअसल 2021 में खेला गया था, लेकिन इसका नाम यूरो कप 2020 ही रहा। फीफा वर्ल्ड कप के बाद इस टूर्नामेंट का सबसे ज्यादा महत्व है और इसलिए इसे मिनी वर्ल्ड कप भी कहा जाता है। यूरोप के दिग्गज देश इस टूर्नामेंट में आमने-सामने होते हैं।
64 साल के टूर्नामेंट के इतिहास में यूरो कप 2020 में पहली बार 11 देशों ने मिलकर इस टूर्नामेंट की मेजबानी की थी। इनमें अजरबैजान, डेनमार्क, इंग्लैंड, जर्मनी, हंगरी, इटली, नीदरलैंड्स, रोमानिया, रूस, स्कॉटलैंड और स्पेन जैसे देश शामिल थे। हालांकि, इस साल (2024) जर्मनी अकेले इस टूर्नामेंट की मेजबानी करेगा। टूर्नामेंट में 24 टीमें खेलेंगी। 15 जुलाई को फाइनल खेला जाएगा। स्टार स्ट्राइकर क्रिस्टियानो रोनाल्डो की टीम पुर्तगाल पर सभी की नजरें होंगी। वहीं, इटली की टीम खिताब बचाने उतरेगी। यूरो कप 2020 में इटली ने इंग्लैंड को हराकर ट्रॉफी पर कब्जा किया था।
2021 में होने पर भी यूरो कप 2020 क्यों पड़ा नाम?
यूरो 2020 का आयोजन 2020 में होना था, लेकिन कोविड के चलते इसे एक साल टाल दिया गया था। हालांकि, इसके बाद भी इसे यूरो 2020 ही कहा गया। ये फैसला UEFA की कार्यकारी समिति ने 2020 में ही एक बैठक के बाद ले लिया था। दरअसल, 1960 में यूरोपियन फुटबॉल चैंपियनशिप का आगाज हुआ था। 2020 में इसके 60 साल पूरे हुए थे। ऐसे में UEFA ने टूर्नामेंट के जरिए जश्न मनाने की तैयारी की थी। पर कोरोना की वजह से ये संभव नहीं हो पाया। ऐसे में UEFA ने 60 साल पूरा होने का जश्न मनाने के लिए 2021 में होने वाली चैंपियनशिप को भी यूरो 2020 का ही नाम दिया। UEFA ने अपने बयान में कहा कि यूरो 2020 लोगों को ये याद दिलाएगा कि कैसे पूरा फुटबॉल परिवार कोरोना महामारी से मुकाबला करने के लिए एक साथ आया था।
यूरो कप का इतिहास
पहला यूरो कप टूर्नामेंट 1960 में खेला गया था। हालांकि, इसका आइडिया काफी पुराना है। 1927 में फ्रेंच फुटबॉल फेडरेशन के एडमिनिस्ट्रेटर हेनरी डेलॉने ने एक पैन यूरोपियन फुटबॉल टूर्नामेंट कराने का प्रस्ताव रखा था। इसके कुछ साल बाद डेलॉने को UEFA का पहला जनरल सेक्रेटरी भी बनाया गया था। हालांकि, उनके प्रस्ताव को पास होने में 31 साल लग गए। 1958 में पहली बार इस टूर्नामेंट का ब्लू प्रिंट तैयार किया गया था। इससे तीन साल पहले, यानी 1955 में डेलॉने का निधन हो चुका था।
डेलॉने के सम्मान में यूरो कप ट्रॉफी को उनका नाम दिया गया। शुरुआती दौर में इस ट्रॉफी के आगे ‘चैंपियोनाट डी’यूरोप’ और ‘कूप हेनरी डेलॉने’ लिखा जाता था और पीछे एक लड़के की तस्वीर बनी होती थी। इस ट्रॉफी को बनाने की जिम्मेदारी डेलॉने के बेटे पिअरे को दी गई थी। 2008 में इस ट्रॉफी को रीडिजाइन किया गया और इसकी साइज भी बढ़ाई गई। नई ट्रॉफी चांदी से बनी है। इसका वजन आठ किलोग्राम है। जबकि, लंबाई 60 सेंटीमीटर (24 इंच) है। अब जीतने वाली टीम का नाम पीछे लिखा जाता है।
शुरू में UEFA नेशंस कप था टूर्नामेंट का नाम
1960 में जब यूरो कप शुरू हुआ तो उस समय इस प्रतियोगिता का नाम यूरोपियन नेशंस कप था। 1968 में इसका नाम बदला गया और UEFA यूरोपियन चैंपियनशिप किया गया। पहले संस्करण में केवल चार टीमें हिस्सा लेती थीं। इसमें चेकोस्लोवाकिया, फ्रांस, सोवियत यूनियन और यूगोस्लाविया जैसे देश शामिल थे। पहला संस्करण सोवियत यूनियन ने यूगोस्लाविया को हराकर अपने नाम किया था। स्पेन ने सोवियत यूनियन के साथ क्वार्टरफाइनल मैच खेलने से मना कर दिया और टूर्नामेंट से बाहर हो गया था।
वहीं, इंग्लैंड, वेस्ट जर्मनी और इटली जैसी टीमों ने भी 1960 में टूर्नामेंट खेलने से मना कर दिया था। तब इस टूर्नामेंट में 16 टीमों को जुटाना भी मुश्किल हो गया था। 1976 तक चार-चार टीमों का सिलसिला चलता रहा। 1980 में पहली बार आठ टीमों ने इस टूर्नामेंट में हिस्सा लिया। 1996 में इसकी संख्या बढ़कर 16 हो गई। 2016 में सबसे ज्यादा 24 टीमों ने टूर्नामेंट में हिस्सा लिया। इस तरह इस टूर्नामेंट की लोकप्रियता बढ़ती गई। इस साल भी टूर्नामेंट में 24 टीमें ही हिस्सा ले रही हैं।
फॉर्मेट
यूरो कप में दो तरह के मुकाबले होते हैं। पहला क्वालिफायर्स और दूसरा फाइनल्स। मेजबान देश को छोड़कर यूरोप के सारे देश क्वालिफाइंग टूर्नामेंट में हिस्सा लेते हैं। मेजबान देश को यूरो कप फाइनल्स के लिए ऑटोमैटिक एंट्री मिलती है। मेन टूर्नामेंट जिसे फाइनल्स कहते हैं, उसमें क्वालिफाई करने वाली टीमों को ग्रुप में बांटा जाता है। 2016, 2020 और इस साल 24 टीमों ने फाइनल्स के लिए क्वालिफाई किया। ऐसे में चार-चार टीमों का छह ग्रुप में बांटा गया है। इसके बाद हर से शीर्ष दो टीमें प्री-क्वार्टरफाइनल यानी राउंड ऑफ-16 के लिए क्वालिफाई करती हैं। इसके साथ ही सभी ग्रुप में से तीसरे स्थान पर रहने वाली टॉप-चार टीमें भी राउंड ऑफ-16 में पहुंचती हैं। प्री-क्वार्टरफाइनल के बाद क्वार्टरफाइनल, सेमीफाइनल और फाइनल खेला जाता है।
सबसे ज्यादा बार टूर्नामेंट जीतने वाली टीम
इस साल यूरो कप का 17वां संस्करण खेला जाएगा। अब तक हुए 16 यूरोपियन चैंपियनशिप टूर्नामेंट्स को 10 टीमों ने जीता है। जर्मनी और स्पेन ने सबसे ज्यादा तीन-तीन बार टूर्नामेंट जीता। फ्रांस और इटली ने दो-दो बार यूरो कप का खिताब अपने नाम किया है। जबकि, सोवियत यूनियन (रूस), चेकोस्लोवाकिया, नीदरलैंड, डेनमार्क, ग्रीस और पुर्तगाल ने एक-एक बार खिताब जीता है।
स्पेन दुनिया की इकलौती टीम है, जिसने लगातार दो बार यूरो कप ट्रॉफी अपने नाम की है। वहीं सबसे ज्यादा गोल करने वालों में पुर्तगाल के क्रिस्टियानो रोनाल्डो 14 गोल के साथ सबसे आगे हैं। पिछले साल ही उन्होंने फ्रांस के मिचेल प्लातिनी को पीछे छोड़ा था। पिछले संस्करण में रोनाल्डो ने पांच गोल दागे थे।
वेन्यू
2016 तक टूर्नामेंट के 15 संस्करण को 14 देशों ने मेजबानी की थी। 2000, 2008 और 2012 संस्करण को दो देशों में मिलकर मेजबानी की थी। यूरो कप 2020 में ऐसा पहली बार हुआ जब 11 देशों में यह टूर्नामेंट कराया गया। इस बार जर्मनी अकेला मेजबान है।
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